Monday, 25 September 2017

Congratulations






Shree Mahendra Bhai Vinubhai Chitroda Ne Shree Sorathiya Prajapati Gnati Seva Sangathan Kodinar Talukana Pramukh Pade Varni Karvama Avi....


Shree Vinod Bhai Fataniya


Wednesday, 28 October 2015

श्री यादे माता की कथा


समाज की आराध्य देवी भक्त शिरोमणी श्री श्रीयादे का जन्मोत्सव हर सजातीय बंधु को प्रतिवर्ष मनाना चाहिए | भक्त शिरोमणी ने प्रह्लाद को 'हरि नाम ' का उपदेश देकर प्रलयकारी राजा हिरण्यकश्यप के प्रकोप को सकल-जगत की रक्षा कर हमारे कुम्हार समाज का गौरव बढ़ाया था | आज भारत वर्ष के हर क्षेत्र में माँ श्री श्रीयादे माता के मंदिर स्थापित हैं एवं स्वजातीय श्रद्धालुओं की श्री श्रीयादे देवी में गहरी आस्था है उन सभी प्रजापत भाइयों को श्रीयादे माँ के उपदेश को अपने जीवन में उतार कर समाज कल्याण सेवाहितार्थ कर्म करना चाहिए | इस प्रकार आप सभी श्रीयादे मंदिर में प्रतिवर्ष स्थापना दिवस समारोह आयोजित करते है | उसी प्रकार आपको प्रतिवर्ष माघ सुद २ को माँ श्री श्रीयादे माता का जन्मोत्सव भी हर्षोल्लास सहित मनाना चाइये ताकि सामाजिक गतिविधियों में बढ़ोतरी हो एवं आपस में परस्पर सहयोग का वातावरण बनें | भक्त शिरोमणी माँ श्री श्रीयादे माँ की जन्म तिथि कौनसी है इस सन्दर्भ में कोई ठोस प्रमाण तो नहीं है, परन्तु अधिकतर कहा जाता है की श्री श्रीयादे माता का जन्म सतयुग के प्रथम चरण में इन्डावृत्त में लायड जी जालंधर की पुत्री के रूप में माघ सुदी २ (दूज ) को हुआ वे बचपन से ही धर्म भीरु थी | उनके गुरु उड़न ऋषि थे | उड़न ऋषि की धूणी तालेड़ा पहाड़ पर थी | श्री श्रीयादे का विवाह गढ़ मुल्तान के सावंत जी के साथ हुआ | आपके दो पुत्र एवं एक पुत्री थी गढ़ मुल्तान हिरण्यकश्यप की राजधानी थी | हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी ने उसकी तपस्या के कारण अमर रहने का वरदान था की वह न आकाश में मरेगा न जमीन पर , न घर में न बहार , न दिन में न रात में , न नर से न पशु से , न अस्त्र से न शस्त्र से आदि वरदान पाकर हिरण्यकश्यप ने राज्य की जनता पर अत्याचार शुरू कर दिए भगवन के नाम लेने पर पाबन्दी लगा दी व धर्म कार्यों पर रोक लगा दी | सवंतोजी व श्री श्रीयादे माता का परिवार ही वहां गुप्त रूप से भक्ति करते थे व् मिटटी के बर्तन बनाते व् भगवन का भजन करते थे | हिरण्यकश्यप के डर से एकांत में भगवान की मूर्तियां पीने के पानी के अंदर रख देते थे और नित्य यही चलता था | एक बार हिरण्यकश्यप ने संयोग से प्यास लगने के कारण श्री श्रीयादे के घर जंगल में पानी माँगा तब डर के मारे माताजी ने भगवन को याद कर पानी पिलाया व सोचा कि पानी के घड़े के अंदर मूर्तियों का हिरण्यकश्यप को पता चल गया तो हमें यातनाएं देगा | पर भगवन ने उनकी सुनी व पानी में मूर्तियां विलीन हो गयी | उसी जल प्रभाव से उसकी रानी कुमदा के पुत्र प्रह्लाद ने जन्म लिया | प्रह्लाद ने जन्म से सात दिन तक माता का दूध नहीं पिया | राजमहल में एक तरफ ख़ुशी , एक तरफ दुःख था कि प्रह्लाद दूध नहीं पियेगा तो जीएगा कैसे | हिरण्यकश्यप ने घोषणा की कि जो कोई उसे दूध पिलाएगा उसे पुरुस्कार दिया जायेगा , भक्त श्री श्रीयादे माता ने प्रह्लाद को दूध पिलाने का जिम्मा लिया व भक्त प्रह्लाद को दूध पिलाया व ईश्वर भक्ति का स्मरण करवाया व समय आने पर फिर हरि नाम का स्मरण करवाने का वचन प्रह्लाद को दिया |

समय बीतता गया प्रह्लाद मित्रों सहित गुरुकुल जा रहे थे | मार्ग में श्री श्रीयादे माता का निवास स्थान दिखा वहां न्याव में मिटटी के बर्तन पकाये जा रहे थे | न्याव दहक रहा था | न्याव के पास श्री श्रीयादे माता व सावतो जी आंसू बहाते -बहाते हरि नाम कि रट लगा रहे थे | प्रह्लाद हरि नाम को सुन कर रुके व कहा कि तुम्हे मेरे पिता की आज्ञा मालूम नहीं है क्या तुम मेरे पिता का मान क्यों नहीं लेते | तुम्हें क्या दुःख है जब श्री श्रीयादे माता ने कहा कि तुम्हारे पिता से बढ़कर मेरे हरि है जो सब की रक्षा करते है | माता के पास बिल्ली म्याऊं -म्याँऊ कर रो रही थी |कि माता ने कहा कि भूल से बिल्ली के बच्चों वाला मटका न्याव में पकने के लिए रख दिया | जिसमें बिल्ली ब्याई हुई थी | बिल्ली के बच्चों की रक्षा के लिए हरि से प्रार्थना कर रहे थे, व हरि नाम की महिमा से बिल्ली के बचे दहकते हुए न्याव में पकने के बाद जीवित निकल गए व प्रह्लाद ने हरि नाम का प्रभाव अपनी आँखों से देखा व बिल्ली के जीवित बच्चों को देख प्रह्लाद ने जीवित बच्चों वाला मटका देखा वह एकदम कच्चा था , बाकि सारे सारे पाक गए माता ने दूध व हरि नाम का मंत्र याद दिलाया व हरि नाम लिया व प्रह्लाद भी हरि नाम जपने लगे तब पिता हिरण्यकश्यप को मालूम हुआ की उसका पुत्र भी नियमित हरि नाम का जप करता है तो उसने प्रह्लाद को कई प्रकार की यातनाएं दी प्रह्लाद के बाल पकड़ कर जमीन पर पटका | पर्वत से गिराया , विष पिलाया , साँपों से डसाया , अग्नि में होलिका के साथ जलवाया , होलिका स्वयं जल गई परन्तु प्रह्लाद बच गए | प्रह्लाद के यातनाओं से भी नहीं मरे तब, हिरण्यकश्यप ने स्वयं प्रह्लाद को मारने के लिए खम्भे से भांध दिया व तलवार लेकर मारना चाहा तब स्वयं भगवान विष्णु ने खम्भे में से नृसिंह अवतार का रूप धारण कर हिरण्यकश्यप को पकड़कर दरवाजे के बीच न बाहर न अंदर, उसे घुटनों पर आधार रखकर न जमीन पर न आसमान में न दिन न रात न नर न पशु न अस्त्र न शस्त्र उसका पेट नाखूनों से चीर कर अधर्मी अत्याचारी का नाश किया व प्रह्लाद को राजा बना भगवान अदृश्य हुए व हरि नाम को और जागृत किया | सत्य व धर्म की रक्षा की |
जय श्री यादे माँ
माँ का भक्त विनोद प्रजापति सूरत 9724935679
vinodprajapatti@gmail.com
ये कथा श्री श्रीयादे पावन धाम झालामण्ड जोधपुर से ली गई है आप सभी से निवदेन है कथा को काट छाट मत करना।
जय श्री यादे माँ

जीवन में मिट्टी के दीपक की ज्योति से उजाला लाये...

जीवन में मिट्टी के दीपक की ज्योति से उजाला लाये...
विनोद प्रजापति
जन्म होते ही और मृत्यु के बाद तक भारतीय मानव का जीवन दीपक के ही समांतर चलता है। हर छोटे बड़े प्रसंग में उसकी उपस्थिति हमारे सांस्कृतिक गौरव की वृद्धि करती है। दीपक प्रकाश, जीवन और ज्ञान का प्रतीक हैं। इसके बिना सब कुछ अंधकारमय हैं। दीपक का महत्व सभी धर्मो में समान है किन्तु दीपक वस्तु के रूप में अलग अलग प्रतिष्ठित है जैसे ईसाई धर्म में दीपक का स्थान मोमबत्ती ने ग्रहण कर लिया है.
हम दीपक की ज्योति के अनुसार भी शुभ-अशुभ जान सकते है शास्त्रों में कहा गया है कि यदि दीप ज्योति रुखी या कोरी ही दिखाई दे तो धन की हानि होती है ज्योति सफ़ेद हो तो अन्न की हानि, ज्यादा लाल हो तो घर में क्लेश, काले रंग में ज्योति हो तो मृत्यु या मृत्यु समान कष्ट प्राप्त होता है. । यदि दीपक बिना हवा या बिना किसी कारण के अपने आप बुझ जाय तो घर में कलह का वातावरण बनता है.कहा भी है.
..रूक्षैर्लक्ष्मी विनाशःस्यात श्वैतेरन्नक्षयो भवेत्
अति रक्तेषु युध्दानि मृत्युःकृष्ण शिखीषु च।.
मिट्टी के दिए में दीपक का विश्व में अत्यंत प्रभावशाली महत्व है मिटटी का दिया पांच तत्वों से मिल कर बनता है जो मनुष्य के शरीर से तुलना करता है जिन पांच तत्वों से मानव का शरीर निर्मित होता है उन्हीं पांच तत्वों से ही मिट्टी के दिए का निर्माण कुम्हार के हाथो द्वारा होता है पानी,आग,मिट्टी,हवा तथा आकाश तत्व ही मनुष्य व मिट्टी के दिए में उपस्थित रहते है.इस दिए का दीपक जलाने से ही समस्त अनुष्ठान कर्म आदि होते है शास्त्र अनुसार इसे प्रज्जवलितकरते समय प्रार्थना करते है.
शुभम करोति कल्याणं आरोग्यम् धन सम्पदा. शत्रुबुध्दि विनाशाय दीपज्योति नमस्तुते ।।
अर्थात यह दीपक हमारे लिए शुभ फलदायक हो आरोग्यता प्रदान करे धन सम्पदा की वृद्धि हो तथा शत्रुओं की बुद्धि का विनाश करने वाली दीप ज्योति को में प्रणाम करता हूं देखों कितना महत्व शास्त्रों ने दिया है सच भी है जब तक हमारे देश में मिट्टी के बर्तन ओर घर घर दिए जलते थे तब तक ही हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाया जाता था. आज भी जब दीपावली के शुभ अवसर पर मिट्टी के दीयों का ही अत्यंत महत्व है.
वास्तु शास्त्र में इसका महत्व इस बात से है यदि घर में अखंड दीपक की व्यवस्था की जाए तो वास्तु दोष समाप्त होता है.
श्री राम चरित मानस का पाठ अखंड दीपक के समक्ष करने से भी वास्तु दोष समाप्त होता है.
अमावस्या को संध्या के समय यदि मिट्टी का दीया मंदिर में प्रज्जवलित करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
घर में दीपक की व्यवस्था अर्थात रखने का स्थान वास्तु में अति महत्व रखता है घर के दक्षिण-पूर्व अर्थात अग्नि कोण में यदि प्रतिदिन मिट्टी का दीपक का उजाला किया जाए तो जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता है घर की महिलाओं का स्वास्थ्य भी भली प्रकार से रहता है.
मिट्टी का दीपक यदि दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखा जाए तो व्यवसाय में नित्य उन्नति तथा घन आगमन का मार्ग खुलता है.
ऑफिस के दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम कोण में रखने से साझेदार से अनुकूलता रहती है.
बच्चो के कमरे में यदि मिट्टी का दीपक अग्नि कोण में किसी अलमारी में रखा जाए तो बुद्धि का विकास होता है.
वास्तु का मानना है कि प्रत्येक वस्तु से किसी ना किसी प्रकार की उर्जा निकलती है यदि यह उर्जा आपके अनुकूल ना हो तो वह आपका नुक्सान भी कर सकती है इसलिए यह ध्यान रखें कि यह मिट्टी का दीपक कभी भी उत्तर या उत्तर-पूर्व ईशान कोण में भूल कर भी ना रखे इसके दुष्परिणाम होते है ओर बेडरूम में भी ना रखे पति-पत्नी के मध्य तनाव की स्थति बनती है.
यह मिट्टी का दीया ओर इसका प्रकाश आपके जीवन में सुख सम्पदा लाने में अत्यंत सहायक सिद्ध होगा.
पत्रकार विनोद प्रजापति सूरत
9724935679
vinodprajapatti@gmail.com

Salute Her To And Congrats Her


मजदूरी कर पेट भरती है रिंग में मुक्के बरसाने वाली ये गोल्ड मैडलिस्ट लड़की
खंडवा(इंदौर). ईंट बनाने, वाली की बेटी ने खुद को भविष्य की मौरीकॉम साबित कर दिखाया। शहर में हुई राष्ट्रीय थाई बॉक्सिंग स्पर्धा में गरीब परिवार की ये लड़कि जूते, ट्रैकसूट उधार मांगकर रिंग में उतरी और ऐसे पंच लगाए कि स्पर्ण, इनकी झोली में आ गिरे। जानिए, ऐसी ही उभरी खिलाड़िं के अभाव के बीच संघर्ष और सफलता के किस्से-
दोस्तों से ड्रेस मांगकर की फाइट, स्वर्ण पदक जीता
हरसूद की तरुणा प्रजापति बीए प्रथम वर्ष में है। उसके विकलांग पिता पूनमचंद प्रजापति और मां ईंट भट्टे पर मजदूरी करते हैं। परिवार की मदद के लिए तरुणा भी भट्टे पर काम करती है। थाई बॉक्सिंग का एक साल पहले शौक लगा। इनडोर स्टेडियम में आयोजित स्पर्धा में तरुणा ने गोल्ड मैडल जीता। तरुणा के पास जूते और ड्रेस नहीं थे। साथी खिलाड़ियों ने उसे पहनने के लिए दिए।

पत्रकार विनोद प्रजापति सूरत
9724935679
vinodprajapatti@gmail.com

Monday, 25 August 2014

Navratri Mahotsav-2013

Prajapati Yuva Social Group Ayojit Navratri Function-2013 Ni Video DVD Avi Gayel Che, Je Prajapati Bhaio Tatha Baheno Ne DVD Ni Copy Medavani Ichha Hoi Temne Madi Sakse.

DVD Prapti Sthan
Contact-Mahavir Courier Services,
Near-ST Bus Station Road,
Opp-Ashwin Medical Store,
Parishram Complex,
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Dist-Somanath Gir(Guj-India)
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