जय सोमनाथ.
आज थी आपणा हिन्दु समाज माटे पवित्र श्रावण मास शरु थाय छे.
आप सर्वे ने श्रावण मास नी खुब खुब शुभकामना.
मारा गया जनम ना शुभ कर्मो ना फड स्वरुप मने प्रथम आदि ज्योतिलिंग नी भुमी सोमनाथ मां जनम मड्यो.
शास्त्रो मां वर्णन छे के सोमेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा करवा वाडा ने पगले पगले कोटि अश्वमेघ यज्ञ नु फड प्राप्त थाय छे.
स्कन्द महापुराण मां ७ मा खंड मा लख्यु छे. " असंख्येय प्रभावं हि प्रभासं परिकीर्तितम् ॥ ब्रह्मतत्वं विष्णु तत्वं रौद्रतत्वं तथैव च ॥ तत्र भूय: समायोगो दुर्ल्लभोऽन्येषु पार्वति ॥ प्रभासे देवदेवेशि तत्वानां त्रितयं स्थितम् ॥ अर्थात् यद्यपि कि पृथ्वि अनेक पुण्यक्षेत्र और कोटि कोटि तिर्थ है परन्तु प्रभास का ही ऐसा वैशिष्ट्य है जहां ब्रह्म तत्व,विष्णु तत्व, तथा रुद्र तत्व इन तीनों की एकत्र ( प्रभास में ही) उपलब्धि होती है अन्यत्र ऐसा सुयोग दुर्लभ है.
सोमनाथ महादेव विशे जेटलु लखिश एटलु ओछु छे...
सब धरति कागज करु,
लेखन सब वनराई,
सत समंदर शाहि करु,
शिव गुण लिखा न जाय.
शिव ने प्रिय सरस्वति,समुद्र, सोमवार,सोमग्रहण ,सावन अने सोमनाथ दर्शन आ छ 'स'कार नो योग दुर्लभ छे.
माटे आप श्री ने पवित्र श्रावण मास मां सहपरीवार सोमनाथ महादेव दर्शन माटे सह्रदय आमंत्रण आपु छु.
- Alpesh Dabhi
॥ ॐ नम: शिवाय ॥
नमह..पार्वतिपत्यैय..हर हर महादेव ..हर..
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